आज सोचने बैठा हूँ कि मैं क्या हूँ
सोचूं तो इक ज़र्रा, इक सूखा पत्ता हूँ
सोचूं तो इक चट्टान इक तूफ़ान हूँ
उमीदों, सपनो, आशाओं का इक दरया हूँ
इक जोश का झोंका हूँ , हवा हूँ मैं
इक आंसूं हूँ पलकों पे ठहरा हूँ
इक याद हूँ सीने में दबा हूँ
इक फ़रियाद हूँ होंठों पे सजा हूँ मैं
इक बादल हूँ बिन बात बहकता हूँ
इक शोला हूँ दिन रात सुलगता हूँ
फिर देखूं तो बस क्या हूँ मैं
वो सोच जो तेरे दिल में है
बस गीली मिटटी हूँ
मन से, कर्म से अपने
रौंद सहला सवार मुझको
जो तेरे दिल में है वो बना दे मुझको .....
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