इन खामोशियों को जो सुन सकता था
इस दुनिया के शोर ने
शायद उसे बहरा कर दिया है
खामोशियां बधिर कानो से टकरा
रेशा रेशा बिखर रही हैं
टूट रही हैं .. ख़त्म हो रही हैं ..
इन आँखों के आंसूं कुछ कहना तो चाहते हैं
पर बेबस ठिठक कर रह जाते हैं
और एक बात कहीं रास्ते में दम तोड़कर रह जाती है ...
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