शनिवार, 6 मार्च 2010

तुम आओ

तुम आओ कि हम 
आस जगाये बैठे हैं 
तुम आओ कि हम 
पलकें बिछाएं बैठे है 
तुम आओ जल्दी कि 
आस टूटने लगी है 
तुम जल्दी आओ कि 
पलकें भीगने लगी हैं..

इंतज़ार हमने किया है बहुत
कि  तुम  आओ
घुट -घुट  के  हमने  जिया  है  बहुत
कि  तुम  आओ
इंतज़ार कि लौ बुझ
 सी गयी  है 
जल्दी  आओ
सांस  थक  सी  गयी  है
तुम  जल्दी  आओ

तुम  जल्दी  आ  जाओ
कि मैं  राह  ताकता  न  रह  जाऊं
वक़्त  कि  इस  धार  में  ही  न  बह  जाऊं
अतेव  मेरे  प्रिय  तुम  आओ
तुम  जल्दी  आ  जाओ 

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