गुरुवार, 19 सितंबर 2013

आरना के पहले जन्मदिन पर




साढ़े आठ मोती जब
तेरी हँसी से झाँकते है 
सवेरा घुटनों पे चल के
मेरी गोद में आता है ।

रब्ब और क़रीब लगता है
उसकी आरती जब लोरी बन
तेरी नींदों के कैनवस पर
ख़्वाबों को बुनती है

"माँ करें दिन रात सेवा,
पर बाप-बेटी आपस में चमचे हैं"
'उजा' की झूठी जलन के ताने
अब गीतों से लगते हैं
माँ की ममता के अफ़साने 
जबसे जगरातों में देखें हैं ।

राक्षस की जान नन्हे से तोते में
ऐसी कहानियों पे यक़ीं नहीं था मुझको
पर जब से तू आई है 'आरना'
'इजे' को कहानी का यक़ीं आ गया है ।

हसीं तेरी जब रूह का शर्बत बनती है
डबडबाई आँखे जब कलेजे को छनती है
राक्षस की जान नन्हे से तोते में
ख़ुद-ब्-खुद यक़ीं आ जाता है
सवेरा  आजकल ख़ुद घुटनों पे 
चल के मेरी गोद में आता है ।