मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

संदेसे


Dallas Lake के किनारे बैठे बैठे ,
मैंने पानी पे न जाने  कितने हर्फ़ उकेरे ,
और तेरी याद में लिखे ख़त लिए ,
लहरें दूसरे किनारे चल दी
इस उम्मीद में  कि उस ओर 
तुम बेसब्री से किसी संदेसे का
इंतज़ार करती होगी  शायद
और इस बात से बिलकुल बेखबर
कि दूसरा किनारा केवल चंद कोस दूर है
पर Seattle उस से भी आगे मीलों दूर 
पता नहीं यह संदेसे तुम्हे मिलेंगे भी या नहीं
पर मैंने तेरी याद में कुछ लफ्ज़ गढ़े ज़रूर हैं...