बुधवार, 3 मार्च 2010

मेरे ख्वाबों में परी बन आती हो तुम

मेरे ख्वाबों में परी बन आती हो तुम
आँखों में बूँद बूँद नशा बन उतर जाती हो तुम 
मैं अवाक् खड़ा देखता भर रह जाता हूँ
जाने कब सामने आ गुज़र भी जाती हो तुम

कोई खुशबु हो हवा में घुली हो तुम
कोई रात हो चांदनी में धूलि हो तुम 
किसी आग की धधकती ज्वाला सी तुम
लहराते कोमल आँचल की शीतल छाया सी तुम

मेरे वजूद पर घटा बन छा जाती हो तुम
इक मुस्कान से अनगिनत मोती लुटाती हो तुम
मेरे ख्वाबों की तामील हो तुम
मेरे वजूद में, मुझ में शामिल हो तुम

जाने कौन हो, कहाँ से आती हो तुम?
क्यों बार बार मुझे यूँ सताती हो तुम?
मगर चाहे जो हो जहाँ हो तुम
मेरी हमराज़, हमकदम, मेरी जान हो तुम

मेरी हमराज़, हमकदम, मेरी जान हो तुम ....

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