शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

चलो

प्यार के धागों में बंधी इस दोस्ती को 
चलो इक नया नाम  दे
वक़्त की आंधी से बिखर चुके इस  रिश्ते को 
इक  नया आयाम  दें 

ज़िन्दगी के कैनवास पर 
 धुंधली सी तस्वीर में 
नए कुछ रंग भरे 
अपने दरमया खिचती दूरियों को 
चलो कुछ  कम  करें 

खुशियाँ ही खुशियाँ हों 
कोई गम न हो 
करो दुआ  आँखें हमारी 
अब कभी नम  न हो 


विरह में सिसकते दो दिलों को 
मिलन का पैगाम  दें 
प्यार के धागों में बंधी इस  दोस्ती को 
चलो इक  नया नाम  दे...

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